पोखरण : राजस्थान के पोखरण रेंज में दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का गुरुवार को एक बार फिर सफल परीक्षण किया गया। कम ऊंचाई पर तेजी से उड़ान भरने और रेडार की आंख से बचने के लिए जानी जाने वाली ब्रह्मोस का परीक्षण गुरुवार सुबह काफी तड़के किया गया।
ब्रह्मोस का पहला सफल परीक्षण 12 जून, 2001 को हुआ था। इस मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है। ब्रह्मोस मिसाइल आवाज की गति से करीब तीन गुना अधिक यानी 2.8 माक की गति से हमला करने में सक्षम है। इस मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर है और ये 300 किलोग्राम भारी युद्धक सामग्री ले जा सकती है।
हवा से जमीन पर मार करने वाले ब्रह्मोस मिसाइल का दुश्मन देश की सीमा में स्थापित आतंकी ठिकानों पर हमला बोलने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह मिसाइल अंडरग्राउंड परमाणु बंकरों, कमांड ऐंड कंट्रोल सेंटर्स और समुद्र के ऊपर उड़ रहे एयरक्राफ्ट्स को दूर से ही निशाना बनाने में सक्षम है।
गौरतलब है कि 12 फरवरी 1998 को भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल टेक्नॉलजिस्ट डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम और रूस के प्रथम डेप्युटी डिफेंस मिनिस्टर एन.वी. मिखाइलॉव ने एक इंटर-गवर्मेन्टल अग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया था। इसके बाद ही ब्रह्मोस बनाने का रास्ता साफ हुआ। इसे भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओएम द्वारा संयुक्त रूप से बनाया गया था।